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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2680
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।

उत्तर -

चन्द्रधर शर्मा गुलेरी ने कुल तीन कहानियाँ ही लिखी है जिसमें 'उसने कहा था उनकी सर्वश्रेष्ठ कहानी है। इस कहानी का प्रमुख पात्र लहनासिंह हैं जिसमें किशोरावस्था के प्रेम के साथ देश के लिए सर्वस्व निछावर कर देने का जोश भी है। लहनासिंह की किशोरावस्था की प्रेमिका सुबेदारनी उसे प्रेम का वास्ता देकर अपने पुत्र की रक्षा की भीख माँगती है। लहना सिंह 'उसने कहा था पूरा कर दिखाता है और प्रेम व देशप्रेम पर प्राण उत्सर्ग कर देता है। अमृतसर के भीड़ भरे बाजार में एक लड़का और एक लड़की चौक की एक दुकान पर मिल जाते हैं। दोनों के पहनावे से स्पष्ट है कि वे सिख हैं। दोनों अपने-अपने मामा के यहाँ आए हुए हैं। लड़का अपने मामा के केश धोने के लिए दही लेने आया था और लड़की बड़ियाँ। लड़की की आयु आठ वर्ष है और लड़का बारह वर्ष का। जितनी देर दुकानदार किसी दूसरे ग्राहक में उलझा हुआ है, उतनी देर में दोनों एक-दूसरे का परिचय प्राप्त कर लेते हैं। लड़का पूछता है, "तेरी कुड़माई हो गई?" लड़की धत् कहकर भाग जाती है। वे दोनों फिर दूसरे-चौथे दिन चौक की ही किसी दुकान पर अचानक मिल जाते हैं और हर बार लड़का उसे चिढ़ाता हुआ यही पूछता है, "तेरी कुड़माई हो गई?" और उसी अंदाज में लड़की 'धत्' कहकर भाग जाती है किन्तु जब एक दिन इसी प्रश्न के उत्तर में बालिका कहती है 'हाँ, हो गई' तो लड़का पूछता है कब? लड़की का उत्तर है 'कल, देखते नहीं, यह रेशम से कढ़ा हुआ सालू", बालक का मन बेचैन हो उठता है।

इस घटना के पच्चीस वर्ष बाद कहानी का पट युद्धस्थल में खुलता है। फ्रांस के बोल्जियम में लड़ाई लड़ी जा रही है। वहाँ भयंकर सर्दी में दिन-रात खंदकों में सिपाही मोर्चा लगाए पड़े हैं। अग्रिम मोर्चे पर सात-सात दिन की ड्यूटी रहती है। लहनासिंह को सूबेदार हजारासिंह हौसला देता है कि चार दिन तो खंदक में ही बिता दिए हैं और तीन दिन हैं, किसी तरह काट लो। फिर रिलीफ पार्टी आ जाने पर सात दिन का विश्राम मिलेगा तो खूब आनंद करना। खंदकों में कड़कती सर्दी से बचने के लिए कभी सिपाही अंगीठी जलाते हैं, कभी बाल्टियों में भर-भर कर खंदक का पानी बाहर फेंकते हैं। बोधासिंह ज्वरग्रस्त हैं, उसे शीत से बचाने के लिए लहनासिंह अपने कम्बल दे देता है, उसकी देखभाल करता है। बोधा के पिता सूबेदार हजारासिंह आभार प्रकट करते हुए कहते हैं, "रात भर तुम अपने दोनों कम्बल उसे ओढ़ाते हो और आप सिगड़ी के सहारे गुजर करते हो, उसके पहरे पर आप पहरा दे आते हो।' समय काटने के लिए सिपाही अलमस्ती में कभी कोई रोमांटिक-सा गीत भी गाकर अपनी उदासी कम करते रहते हैं।

रात के दो पहर बीत रहे हैं। बोधासिंह का ज्वर बढ़ जाता है। बोधासिंह खाली बिस्कुटों के तीन दिनों पर दोनों कम्बल बिछाकर और लहनासिंह के दो कम्बल और एक बरान कोट ओढ़कर सो रहा है। इतने पर भी उसकी कम्पनी नहीं छूट रही है तो पहरे पर खड़ा लहना उसे अपनी जर्सी भी जबरदस्ती दे देता है। बोधा से बहाना बना देता है कि उसे तो गर्मी लग रही है। थोड़ी देर बाद ही उनके लपटन साहब को वंश बदलकर अफसर आता है। वह सूबेदार हजारासिंह को जर्मन चौकी पर हमला करने का हुक्म देता है। सूबेदार के चले जाने पर जब लपटन साहब खुद सिगरेट पीने लगे और लहनासिंह को भी सिगरेट पीने को कहा तो लहना को संदेह हो गया। क्षणांश में ही वह समझ गया कि उनके साथ धोखा हुआ है। अपनी शंका को पुष्ट करने के लिए वह लपटन साहब से उनके साथ-साथ खेले गए शिकार का मनगढ़ंत किस्सा सुनाता है। उसे पक्का निश्चय हो जाता है कि यह भारतीय परम्पराओं से पूरी तरह अपरिचित है। साहब के खोते पर सवार होने, खानसामा अब्दुल्ला द्वारा मंदिर पर जल चढ़ाने आदि बातें यह रहस्य खोल देती हैं कि लहनासिंह और उनके साथियों के साथ धोखा हुआ है। माचिस लेने के बाद लहनासिंह खंदक में जाता है और किसी तरह वजीरसिंह को सूबेदार हजारासिंह को वापस बुलाने के लिए भेज देता है। लौटकर वह देखता है कि वह कपट वेशधारी अफसर बम से खंदक उड़ा देना चाहता है। किन्तु फुर्ती से लहनासिंह उसका काम तमाम कर देता है। जर्मन मरते-मरते भी जेब से पिस्तौल निकालकर गोली चला देता है जो लहनासिंह की जांघ पर लगती है। इतने में उन पर सत्तर जर्मन सैनिकों का हमला होता है। इन बहादुर सिखों ने पहले धावे को रोका, जब जर्मन भारी पड़ने लगे तो सूबेदार हजारासिंह के जवानों ने जर्मनों को घेर लिया। लड़ाई के बाद सिखों की जीत हुई। सूबेदार हजारासिंह के कंधे पर गोली लगी और लहनासिंह की पसली में गहरा घाव। तभी घायलों के लिए फौजी गाड़ियाँ आती हैं जिनमें जबर्दस्ती लहनासिंह बोधा और सूबेदार को चढ़ा देता है। स्वयं इसलिए नहीं चढ़ पाता कि उसमें और जगह नहीं है। गाड़ी चलते समय लहनासिंह सूबेदार से कहता है कि जब आप सूबेदारनी को चिट्ठी लिखें, तो मेरा मत्था टेकन, लिख देना और जब मिलो तो कह देना की 'उसने जो कहा था वह मैंने कर दिया।

गाड़ी के चले जाने के पश्चात् लहनासिंह का घाव बुरी तरह बह निकला। उसे मूर्छा आने लगी, सामान्य मूर्छा नहीं, मृत्यु के पहले की मूर्छा जिसमें स्मृति बहुत साफ होकर समस्त जीवन की घटनाएँ फिल्म की रील की तरह याद आने लगती हैं। लहनासिंह को बचपन का दृश्य याद आता है जब आठ वर्षीय बालिका 'तेरी कुड़माई हो गई' के उत्तर में 'धत्' कहकर भाग जाती है। उसे वह पच्चीस वर्ष बाद की घटना भी याद आती है जब सूबेदारनी उससे आँचल पसार कर बोधा और सूबेदारनी उससे आँचल पसार कर बोधा और सूबेदार हजारासिंह के प्राणों की रक्षा की भीख माँग रही है। यही 'उसने कहा था है जिसकी पूर्ति करने में लहनासिंह प्राणों की बाजी लगा देता है। अंत में वह साथी सिपाही वजीरासिंह की गोद में प्राण त्याग देता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- गोदान में उल्लिखित समस्याओं का विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्रेमचन्द का आदर्शोन्मुख यथार्थवाद क्या है? गोदान में उसका किस रूप में निर्वाह हुआ है?
  4. प्रश्न- 'मेहता प्रेमचन्द के आदर्शों के प्रतिनिधि हैं।' इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिए।
  5. प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।
  6. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यास-साहित्य का विवेचन कीजिए।
  7. प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।
  8. प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।
  9. प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।
  10. प्रश्न- गोदान की औपन्यासिक विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यासों की संक्षेप में विशेषताएँ बताइये।
  12. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यासों की कथावस्तु का विश्लेषण कीजिए।
  13. प्रश्न- 'गोदान' की भाषा-शैली के विषय में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
  14. प्रश्न- हिन्दी के यथार्थवादी उपन्यासों का विवेचन कीजिए।
  15. प्रश्न- 'गोदान' में प्रेमचन्द ने मेहनत और मुनाफे की दुनिया के बीच की गहराती खाई को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। प्रमाणित कीजिए।
  16. प्रश्न- क्या प्रेमचन्द आदर्शवादी उपन्यासकार थे? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
  17. प्रश्न- 'गोदान' के माध्यम से ग्रामीण कथा एवं शहरी कथा पर प्रकाश डालिए।
  18. प्रश्न- होरी की चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धनिया यथार्थवादी पात्र है या आदर्शवादी? स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' के निम्न गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
  22. प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
  23. प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
  24. प्रश्न- 'मैला आँचल' की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  25. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।
  26. प्रश्न- "परम्परागत रूप में आँचलिक उपन्यास में कोई नायक नहीं होता।' इस कथन के आधार पर मैला आँचल के नामक का निर्धारण कीजिए।
  27. प्रश्न- नामकरण की सार्थकता की दृष्टि से 'मैला आँचल' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।
  28. प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?
  30. प्रश्न- मैला आँचल में वर्णित पर्व-त्योहारों का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- मैला आँचल की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
  32. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास के कथा विकास में प्रयुक्त वर्णनात्मक पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- कथावस्तु के गुणों की दृष्टि से मैला आँचल उपन्यास की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  34. प्रश्न- 'मैला आँचल' उपन्यास का नायक डॉ. प्रशांत है या मेरीगंज का आँचल? स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास की संवाद योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  36. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)
  37. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।
  39. प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  40. प्रश्न- प्रेम और त्याग के आदर्श के रूप में 'उसने कहा था' कहानी के नायक लहनासिंह की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- सूबेदारनी की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बातों और अन्य शहरों के इक्के वालों की बातों में लेखक ने क्या अन्तर बताया है?
  43. प्रश्न- मरते समय लहनासिंह को कौन सी बात याद आई?
  44. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- 'उसने कहा था' नामक कहानी के आधार पर लहना सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  46. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (उसने कहा था)
  47. प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  49. प्रश्न- कफन कहानी के उद्देश्य की विश्लेषणात्मक विवेचना कीजिए।
  50. प्रश्न- 'कफन' कहानी के आधार पर घीसू का चरित्र चित्रण कीजिए।
  51. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  52. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं। इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- घीसू और माधव की प्रवृत्ति के बारे में लिखिए।
  54. प्रश्न- घीसू ने जमींदार साहब के घर जाकर क्या कहा?
  55. प्रश्न- बुधिया के जीवन के मार्मिक पक्ष को उद्घाटित कीजिए।
  56. प्रश्न- कफन लेने के बजाय घीसू और माधव ने उन पाँच रुपयों का क्या किया?
  57. प्रश्न- शराब के नशे में चूर घीसू और माधव बुधिया के बैकुण्ठ जाने के बारे में क्या कहते हैं?
  58. प्रश्न- आलू खाते समय घीसू और माधव की आँखों से आँसू क्यों निकल आये?
  59. प्रश्न- 'कफन' की बुधिया किसकी पत्नी है?
  60. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)
  61. प्रश्न- कहानी कला के तत्वों के आधार पर प्रसाद की कहांनी मधुआ की समीक्षा कीजिए।
  62. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  63. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  64. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मधुआ)
  65. प्रश्न- अमरकांत की कहानी कला एवं विशेषता पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- अमरकान्त का जीवन परिचय संक्षेप में लिखिये।
  67. प्रश्न- अमरकान्त जी के कहानी संग्रह तथा उपन्यास एवं बाल साहित्य का नाम बताइये।
  68. प्रश्न- अमरकान्त का समकालीन हिन्दी कहानी पर क्या प्रभाव पडा?
  69. प्रश्न- 'अमरकान्त निम्न मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे हैं। सिद्ध कीजिए।
  70. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जिन्दगी और जोंक)
  71. प्रश्न- मन्नू भण्डारी की कहानी कला पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से मन्नू भण्डारी रचित कहानी 'यही सच है' का मूल्यांकन कीजिए।
  73. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी के उद्देश्य और नामकरण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
  75. प्रश्न- कुबरा मौलबी दुलारी को कहाँ ले जाना चाहता था?
  76. प्रश्न- 'निशीथ' किस कहानी का पात्र है?
  77. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (यही सच है)
  78. प्रश्न- कहानी के तत्वों के आधार पर चीफ की दावत कहानी की समीक्षा प्रस्तुत कीजिये।
  79. प्रश्न- 'चीफ की दावत' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- चीफ की दावत की केन्द्रीय समस्या क्या है?
  81. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चीफ की दावत)
  82. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
  83. प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
  84. प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- हीराबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  86. प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- 'तीसरी कसम उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
  89. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
  90. प्रश्न- क्या फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों का मूल स्वर मानवतावाद है? वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है?
  92. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तीसरी कसम)
  93. प्रश्न- 'परिन्दे' कहानी संग्रह और निर्मल वर्मा का परिचय देते हुए, 'परिन्दे' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  94. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परिन्दे' कहानी की समीक्षा अपने शब्दों में लिखिए।
  95. प्रश्न- निर्मल वर्मा के व्यक्तित्व और उनके साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  96. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (परिन्दे)
  97. प्रश्न- ऊषा प्रियंवदा के कृतित्व का सामान्य परिचय देते हुए कथा-साहित्य में उनके योगदान की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  99. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (वापसी)
  100. प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  101. प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
  103. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (पिता)

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